रिपोर्ट- सनी सरदार, झाँसी। अपनी टांग गंवा चुके घनश्याम के परिजन सरकार द्वारा दिए गए दो लाख रुपयों को नाकाफी मानते हैं। उन्हें अपने घनश्याम के लिए सरकारी नौकरी चाहिए।
मालूम हो कि बस हादसे में पैर गंवाने के बाद घनश्याम के साथ अमानवीय कृत्य हुए। उसके कटे हुए पैर को ही सिरहाने पर तकिए की तरह लगा दिया गया। हालांकि इस पूरे मामले की जांच चल रही है। उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी घनश्याम को आर्थिक मदद के रूप में दो लाख रुपए दिए हैं।
घनश्याम का खुद का कहना है कि ये दो लाख रुपए तो उपचार में ही खर्च हो जाएंगे। उसे तो अपना व बच्चों का भविष्य भी देखना है। अब लाचार होने के बाद वह कहीं काम भी नहीं कर सकेगा। उसने सरकार से सरकारी नौकरी देने की मांग की है। वहीं उसके पिता देवकी ने बताया कि दो बेटे हैं। उसके पास कुल चार बीघा जमीन थी। जिसमें से एक बीघा जमीन उसने गिरवी रख दी घनश्याम के उपचार के लिए। अभी तक चालीस हजार रुपए खर्च हो चुका है। एक लाख का कर्ज लिया है साहूकार से उसने। अब सरकार ने दो लाख रुपए दिए हैं तो वह इससे उपचार कराएगा और अपनी जमीन वापस छुड़ा लेगा। उसने भी सरकार से घनश्याम के लिए सरकारी नौकरी देने की मांग की है।
वहीं घनश्याम की बहन लीला व पत्नी हेमवती ने भी घनश्याम के लिए आर्थिक मदद नहीं, बल्कि सरकारी नौकरी देने के लिए सरकार से मांग की है। उन्होंने कहाकि ये रुपए तो उपचार में ही खत्म हो जाएंगे। रुपए लेना हमारी मजबूरी थी, ताकि इलाज करा सकें। रुपए खत्म होने के बाद क्या होगा? इसकी चिंता उसकी पत्नी हेमवती को खाए जा रही है। उसने सरकार से एक नौकरी देने की मांग की है, ताकि बच्चों और घनश्याम को किसी के आगे मोहताज न होना पड़े।
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