(रिपोर्ट-सैय्यद तामीर उद्दीन) महोबा। जरा में धूप जरा में बदली कड़ाके की सर्दी में लोग परेशान हुये जा रहे है, लोगों को सर्दी से राहत देने के लिये आग के अलाव तो जलाये जा रहे है लेकिन वह नाकाफी साबित हो रहे है। कागजों में आग के अलाव जरूर तपिश पहुंचा रहे है लेकिन मौके पर इनकी आंच लोगों को रात भर भी नही लग रही है।
वही दूसरी तरफ यहां बीते कई दिनों से जन सामान्य भीषण सर्दी का सामना कर रहा है ऐसे में परेशानी निर्बल, असहाय जनों को हो रही है। इस तपके के लोग सर्दी में राहत महसूस कर सके उसकों मद्देनजर रखते हुये शासन स्तर से गर्म कपड़े और कम्बल बांटने के लिये भारी धनराशि का आवटन किया गया है लेकिन मुस्लिम जनों के बीच बेहद कमजोर कम्बलों का वितरण किया जा रहा है जिसको धारण करने के बाद भी निर्बल और असहाय रात भर ठिठुर रहे है।
चालू महीने में लगातार जनता जनार्दन को भारी सर्दी का सामना करना पड़ रहा है बीच में एकाध दिन जरूर उन्हें तेज धूप से राहत मिली लेकिन उसके दूसरे ही दिन मौसम पलटी मारे जा रहा है, जानकारों का कहना है कि अभी हाल, फिलहाल और कुछ दिन तक सर्दी का मिजाज इसी तरह बना रहेगा। सोमवार को यहां सुबह शहर में आसमान में बदली छायी रही, दोपहर बाद यहां निकली धूप बेहद कमजोर रही बावजूद इसके लोग सर्दी से राहत पाने के लिये बेदम धूप में ही राहत पाने का यत्न करते रहे।
महावट पर भी पड़ा जलवायु परिवर्तन का असर
सर्दी के तीन महीने दबे पांव निकल चुके है और ले देकर सिर्फ माघ का महीना ही सर्दी का आना शेष रह गया है, लेकिन अभी तक सर्दी के दिनों में होने वाली महावट अभी तक नही हुई है किसान आसमान पर टकटकी लगाये है तैयार होती फसलों के लिये महावट बेहद जरूरी हो चुकी है, यदि अगले कुछ दिनों तक महावट के दिनों में होने वाली बारिश न हुई तो काश्तकारों को फसलों के मुरझा जाने का संकट खड़ा हो गया है। ध्यान रहे कि जनपद में अभी तक सम्पूर्ण खेती बाड़ी के लिये सिंचाई संसाधनों की उपलब्धता नही हो पायी है और ऐसे में किसानों को सूखती, मुरझाती फसलों के लिये आकाशीय बारिश का ही इंतजार रहता है। हर साल सर्दी के दिनों में महावट होती रही है लेकिन अबकी बार जलवायु परिवर्तन का असर महावट पर भी पड़ा है, लेकिन किसानों ने अभी आशा का दामन नही छोड़ा है उन्हें लगता है कि इन्द्र देवता की मेहरबानी उन पर जरूर होगी।